
गवर्नमेंट स्कूल्स के बारे में सोचने पर अमूमन बेरंग क्लास रूम, बिना सुविधाओं के पाठ रटते बच्चे और नीरस माहौल ही जहन में आता है, लेकिन जहांगीराबाद का गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल इससे बिल्कुल अलग है। स्कूल को 2014 में इंग्लिश मीडियम का दर्जा मिला है, स्मार्ट क्लास और टैबलेट्स से पढ़ाई होती है। इस स्कूल का नाम नवाचारों के लिए जाना जाता है। इसका श्रेय यहां की प्रिंसिपल डॉ. उषा खरे को है। शिक्षा में अपने इसी नवाचार के चलते डॉ. उषा खरे को दो बार राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार और 2017 में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से नवाजा गया। अब आज रात 9 बजे सोनी टीवी के शो (KBC) कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर स्पेशल एपिसोड में उनकी पूरी जर्नी को शेयर किया जाएगा। हॉट सीट पर बैठकर अमिताभ बच्चन के सवालों का जवाब देती नजर आएंगी। उनके साथ हॉट सीट पर ग्लोबल टीचर अवार्ड से सम्मानित महाराष्ट्र के सोलापुर जिला परिषद के प्राइमरी शिक्षक रणजीत सिंह डिसले और फिल्म अभिनेता बोमन ईरानी भी होंगे। बालिका शिक्षा के लिए सतत प्रयासरत उषा खरे ने मुंबई से लौटकर अपनी बात हमारे संवादता से रखी
डाॅ उषा खरे ने कहा-
'मैं 23 नवंबर को मुंबई पहुंची थी। 24 नवंबर को केबीसी की टीम से मीटिंग हुई। 25 नवंबर को सुबह हम सेट पर गए। वहां मेरे साथ ग्लोबल टीचर अवार्ड से सम्मानित रणजीत सिंह डिसले भी थे। वहां मेरे साथ केबीसी खेलने वाले सेलिब्रिटी गेस्ट बोमन ईरानी भी थे। इसके बाद वहां सदी के महानायक और शो के होस्ट अमिताभ बच्चन सर आए। जिनका हम बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बेहद सहज, सरल व्यक्तित्व के धनी अमिताभ बच्चन सर आए तो आते ही शो की शूटिंग शुरू हुई। शो के शुरू होने के बाद अमिताभ बच्चन जी ने हमसे बात की तो जो घबराहट थी, वो दूर गई। शो की शूटिंग खत्म होने के बाद चूंकि मैं भोपाल शहर से गई थी और अमिताभ बच्चन जी का भोपाल से गहरा नाता है। वो इस शहर के दामाद हैं। जया दीदी हमारे शहर की बेटी हैं तो मन में हमारे एक अलग सा विश्वास था और बहुत इच्छा थी कि मैं कुछ अलग हटकर अमिताभ सर से बात करुंगी। जब मैंने अमिताभ सर के करीब जाकर बात करनी शुरू की तो उन्होंने हमें काफी समय दिया। उन्होंने अच्छे से हमारी बात सुनी, समझा और मेरी तारीफ करते हुए कहा कि आप तो बालिका शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 36 सालों से अभूतपूर्व काम कर रही हैं। अब बालिकाओं को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए काउंसिल कॉटेज इनिशिएटिव ले रही हैं। मेरे साथ अक्षय भी गया था। अक्षय ने भी अमिताभ सर से बात की। सारी बातें सुनने के बाद उन्होंने हमें मोटीवेट किया। मैंने कहा आप जब भी भोपाल आएंगे तो आप मुझसे मिलेंगे। तब उन्होंने कहा उषा जी जरुर मिलूंगा और आपके स्कूल भी आऊंगा। उन्होंने बहुत सहज सरल भाव से कहा कि आप अच्छा काम कर रही हैं, जो भी सहयोग चाहिए वो मैं दूंगा। फिर आप मेरी ससुराल से भी हैं। उससे आपसे एक अलग रिश्ता भी बन गया है।'
ऐसे हुआ कर्मवीर में चयन
उषा खरे ने कहा कि मैंने अपने सरकारी स्कूल में अपने स्टॉफ और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से स्कूल को हाइटेक की श्रेणी में ला दिया। स्कूल में फ्री वाई-फाई के साथ स्मार्ट क्लास रूम तैयार करवाए। टैबलेट्स में पूरे कोर्स सहित कई जानकारियां अपडेट की। स्कूल का पूरा कोर्स टैबलेट पर उपलब्ध है, जिसके माध्यम से छात्राएं पढ़ती हैं। खास बात यह कि यह सब जीरो मेंटेनेंस कॉस्ट पर हुआ है। मेरे इन प्रयासों के बाद 2014 में स्कूल को अंग्रेजी मीडियम स्कूल का दर्जा मिला। वर्तमान में इस स्कूल में करीब 1200 लड़कियां पढ़ रही हैं। करीब 300 छात्राओं को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की तरफ से निशुल्क सर्टिफिकेशन कोर्स कराने के बाद नौकरी के भी प्रस्ताव मिले हैं। मुझे शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के लिए 2017 में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान भी मिला और दो बार राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान भी। शिक्षा के क्षेत्र में मेरे किए गए काम के आधार पर भारत सरकार की तरफ से मेरी डिटेल केबीसी की टीम को दी गई। केबीसी की टीम से फोन आया कि आपको केबीसी के स्पेशल कर्मवीर एपिसोड के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि आपकी डिटेल भेजिए। उसके बाद उनकी टीम भोपाल आई मेरे स्कूल में शूटिंग की। मेरा और बच्चों का इंटरव्यू किया। उसके बाद मुझे मुंबई में शूटिंग के लिए बुलाया गया। डॉ. उषा खरे ने कर्मवीर एपिसोड में कितनी रकम जीती यह तो नहीं बताया। उन्होंने कहा कि शो टेलिकास्ट से पहले डिसक्लोज नहीं कर सकते। लेकिन उन्होंने कहा कि जीती रकम का इस्तेमाल वह बच्चों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए करेंगी।
हर अचीवमेंट के साथ नई चुनौती
मुझे लगता है कि हर अचीवमेंट अपने साथ नई चुनौती लाता है। कर्मवीर के रूप में चुने जाने के बाद जिम्मेदारी बढ़ गई है। 1985 में पहली पोस्टिंग ऐसे गांव में हुई, जहां लाइट नहीं थी। तीन दशक तक हर व्यवस्था में बेहतर करने की कोशिश की। खूब संघर्ष किया। मेरा फोकस हमेशा नवाचार और बालिका शिक्षा पर रहा है। बालिका शिक्षा के क्षेत्र में आज भी बहुत सी भ्रांतियां हैं, चुनौतियां हैं लेकिन संघर्ष और जागरूकता के साथ इसके समाधान पर काम किया जाए तो कोई भी समस्या और चुनौती नहीं रहती है। बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं और बढ़ भी रही हैं।
सरकारी स्कूल बना हाइटेक
स्कूल में फ्री वाई-फाई के साथ स्मार्ट क्लास रूम तैयार करवाए गए। टैबलेट्स में पूरे कोर्स सहित कई जानकारियां अपडेट की। स्कूल का पूरा कोर्स टैबलेट पर उपलब्ध है, जिसके माध्यम से छात्राएं पढ़ती हैं। खास बात यह कि यह सब जीरो मेंटेनेंस कॉस्ट पर हुआ है। 2014 में डॉ. खरे के अथक प्रयासों के बाद स्कूल को अंग्रेजी मीडियम स्कूल का दर्जा मिला। वर्तमान में इस स्कूल में करीब 1200 लड़कियां पढ़ रही हैं। करीब 300 छात्राओं को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की तरफ से निशुल्क सर्टिफिकेशन कोर्स कराने के बाद नौकरी के भी प्रस्ताव मिले हैं। स्कूल की छात्राएं फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलती हैं।
परिवार का मिला भरपूर सपोर्ट
मैं एक शिक्षक की बेटी हूं, मैंने अपने पिता को बहुत सम्मान पाते और बहुत संघर्ष करते देखा है। मैं अपना रोल मॉडल, पिताजी को मानती हूं। परिवार में मुझे पढ़ाई का माहौल मिला। लेकिन आसपास देखती थी कि शिक्षा बहुत बड़ी चुनौती थी। खासकर लड़कियों के लिए। उसी वक्त शिक्षक बनने का खयाल आ गया था। अड़चनें हर वक्त आई, लेकिन पहले मायके और बाद में ससुराल में पूरा सहयोग मिला। मेरे पति सुधीर खरे भोपाल दुग्ध संघ में मैनेजर हैं। मेरी तीन बेटियां सोनल, सौम्या और सुरभि की शादी हो चुकी है। मेरा बेटा अक्षय काउंसिल कॉटेज (counsels’ cottage) का फांउडर है।
अब बढ़ा रही हूं काउंसिल कॉटेज इनिशिएटिव को आगे
अब मैं बालिकाओं को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए काउंसिल कॉटेज (counsels’ cottage) इनिशिएटिव को आगे बढ़ा रही हूं। इसमें मेरा बेटा अक्षय भी अहम रोल निभा रहा है। इसमें कई कानून से जुड़े जानकार भी जुड़े हैं। जो नि:शुल्क बालिकाओं को कानून और दूसरी दिक्कतों पर परामर्श देने के साथ मार्गदर्शन देंगे।
घर में आज ग्रुप में देखेंगे KBC
उषा खरे के बेटे अक्षय ने बताया कि मम्मी को बचपन से हमने एजुकेशन में डिवोटेड पाया। अब आज रात वह KBC में भी नजर आएंगी। यह बात मेरे दोस्तों और रिश्तेदारों को पता चली है तब से बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। आज हमारे घर में बहुत सारे लोग एक साथ शो को देखेंगे। साथ ही इसी तरह मेरे रिश्तेदार भी ग्रुप बनाकर आज मम्मी को देखेंगे। यह हम सब के लिए बहुत ही गर्व का पल है।
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